गहरी समुद्री मिशन की क्षमता है भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की
भारत अपना स्वयं का गहरा समुद्र मिशन शुरू करने के लिए तैयार है, जो वैज्ञानिक और आर्थिक क्षेत्र में काफी सक्षमता अदा करने का वादा करता है। केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार (15 जून, 2024) को नई दिल्ली में हुई एक बैठक में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की 100-दिवसीय कार्य योजना पर चर्चा करते हुए इस बात की जानकारी दी।
सिंह इस मंत्रालय का उद्योग करते हैं, जिनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पीएमओ, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, कर्मचारियों, लोक शिकायतों और पेंशन के मंत्रालय शामिल हैं।
गहरा समुद्र मिशन की प्रगति को लेकर गर्व एवं आशावादी बताते हुए सिंह ने जोर दिया कि ऐसी उन्नत समुद्र अन्वेषण करने के लिए भारत आपसी धीरज समूह का हिस्सा बन रहा है।
उद्योगिक नीला अर्थव्यवस्था की उपलब्धि
गहरा समुद्री मिशन केवल खनिज अन्वेषण पर आधारित नहीं है। यह एक बड़े दायरे में स्थित है, जिसमें समुद्री विज्ञानों, समुद्री शाक और जन्तुओं का अन्वेषण और समुद्री जैव विविधता की संरक्षण शामिल है।
भारतीय समुद्र तल में दुर्लभ पृथ्वी धातुओं और पीटलिगोें की खोज के लिए यह मिशन अपनी योगदान जुटे संसाधन के लिए निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर कमान
संघ मंत्री ने मत्स्यायान 6000, एक उत्कृष्ट उपजलय को विकसित करने में राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) की प्रशंसा की,जो 6,000 मीटर तक गहराई में डाइविंग की क्षमता रखता है।
आपात स्थितियों में सबमर्सिबल को अन्तरिक्ष में तकरीबन 72 घंटों के लिएअधक प्रगति प्रौद्योगिकी उचित हो सकता है।
गहरा समुद्री मिशन भारतीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की क्षमता रखता है।
गहरा समुद्री फ्लोरा और जैव विविधता को सहेजने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति थी।
गहरा समुद्री मिशन ने बहुत सारे समुद्री अन्वेषण, वैज्ञानिक अनुसंधान, और आर्थिक अवसर प्रदान करने की क्षमता को प्रगट किया है।
भारत का गहरा समुद्री मिशन भारतीय वैज्ञानिक तथा आर्थिक यात्रा में महत्वपूर्ण चरण है।
यह मिशन भारत की पद नहीं केवल गहरा समुद्री अन्वेषण के अग्रणी बनाती है, बल्कि आत्मनिर्भर तकनीक व क्षमताओं को विकसित करने की संकल्पना को भी मजबूत करती है।
सिंह इस मंत्रालय का उद्योग करते हैं, जिनमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पीएमओ, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, कर्मचारियों, लोक शिकायतों और पेंशन के मंत्रालय शामिल हैं।
गहरा समुद्र मिशन की प्रगति को लेकर गर्व एवं आशावादी बताते हुए सिंह ने जोर दिया कि ऐसी उन्नत समुद्र अन्वेषण करने के लिए भारत आपसी धीरज समूह का हिस्सा बन रहा है।
उद्योगिक नीला अर्थव्यवस्था की उपलब्धि
गहरा समुद्री मिशन केवल खनिज अन्वेषण पर आधारित नहीं है। यह एक बड़े दायरे में स्थित है, जिसमें समुद्री विज्ञानों, समुद्री शाक और जन्तुओं का अन्वेषण और समुद्री जैव विविधता की संरक्षण शामिल है।
भारतीय समुद्र तल में दुर्लभ पृथ्वी धातुओं और पीटलिगोें की खोज के लिए यह मिशन अपनी योगदान जुटे संसाधन के लिए निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।
स्वदेशी प्रौद्योगिकी पर कमान
संघ मंत्री ने मत्स्यायान 6000, एक उत्कृष्ट उपजलय को विकसित करने में राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) की प्रशंसा की,जो 6,000 मीटर तक गहराई में डाइविंग की क्षमता रखता है।
आपात स्थितियों में सबमर्सिबल को अन्तरिक्ष में तकरीबन 72 घंटों के लिएअधक प्रगति प्रौद्योगिकी उचित हो सकता है।
गहरा समुद्री मिशन भारतीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने की क्षमता रखता है।
गहरा समुद्री फ्लोरा और जैव विविधता को सहेजने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति थी।
गहरा समुद्री मिशन ने बहुत सारे समुद्री अन्वेषण, वैज्ञानिक अनुसंधान, और आर्थिक अवसर प्रदान करने की क्षमता को प्रगट किया है।
भारत का गहरा समुद्री मिशन भारतीय वैज्ञानिक तथा आर्थिक यात्रा में महत्वपूर्ण चरण है।
यह मिशन भारत की पद नहीं केवल गहरा समुद्री अन्वेषण के अग्रणी बनाती है, बल्कि आत्मनिर्भर तकनीक व क्षमताओं को विकसित करने की संकल्पना को भी मजबूत करती है।